महिला आरक्षण बिल (women reservation bill) : नई आशा, नई संभावनाएँ

women reservation bill

संसद के विशेष सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में महिला आरक्षण बिल (Women reservation bill) पेश कर दिया गया. इसे ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक' भी कहा जा रहा है। नए संसद भवन में शुरू हुई कार्यवाही के दौरान इस बिल को लाया गया। संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के लिए ये प्रावधान किया जा रहा है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसके लिए संविधान संशोधन (128वां) विधेयक 2023 पेश किया।

राज्यसभा से भी महिला आरक्षण बिल सर्वसम्मति से पास हो गया। बिल के समर्थन में 214 वोट डाले गए, जबकि विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा। अब बिल को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद महिला आरक्षण बिल, कानून बन जाएगा। जानकारों का कहना है कि महिला आरक्षण बिल को अभी भी लंबा सफर तय करना है।  जनगणना और परमीसन के बाद महिला आरक्षण विधेयक साल 2029 के लोकसभा चुनाव तक ही लागू हो सकेगा।

क्या है महिला आरक्षण बिल ? ( What is women reservation bill in hindi ? )

women reservation bill

  • देश के संविधान का 108वां संशोधन विधेयक दिल्ली की विधान सभा विधान,लोकसभा और राज्य विधान सभाओं  में महिलाओं के लिए सीटों की कुल संख्या का एक तिहाई (33%) आरक्षित करने का प्रावधान देता है। इस विधेयक में 33% कोटा के अंदर एससी, एसटी और एंग्लो-इंडियन के लिए उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव है।
  • इस विधेयक में कहा गया है कि संशोधन अधिनियम शुरू होने के 15 साल बाद महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण समाप्त हो जाएगा।

महिला आरक्षण बिल का इतिहास (History of women reservation bill)

History of women reservation bill

  • महिला आरक्षण का यह बीज पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बोया था। राजीव गांधी ने मई 1989 में ग्रामीण और शहरी स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पारित होने में विफल रहा।
  • 12 सितंबर 1996 को तत्कालीन देवेगौड़ा सरकार ने पहली बार संसद में महिलाओं के आरक्षण के लिए 81वां संविधान संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया। विधेयक को लोकसभा में मंजूरी नहीं मिलने के बाद इसे गीता मुखर्जी की अध्यक्षता वाली संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया। मुखर्जी समिति ने दिसंबर 1996 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। हालांकि, लोकसभा भंग होने के साथ विधेयक समाप्त हो गया।
  • अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 1998 में 12वीं लोकसभा में महिला आरक्षण विधेयक को आगे बढ़ाया। हालांकि, इस बार भी विधेयक को समर्थन नहीं मिला और यह फिर से निरस्त हो गया। बाद में इसे 1999, 2002 और 2003 में वाजपेयी सरकार के तहत फिर से पेश किया गया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली।
  • मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार-1 ने 6 मई 2008 को इसे राज्यसभा में पेश किया। 9 मार्च 2010 को विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया।
  • विधेयक को लोकसभा में कभी विचार के लिए नहीं लाया गया और अंततः 2014 में लोकसभा भंग होने के कारण यह विधेयक खत्म हो गया था।

महिला आरक्षण बिल की आवश्यकता (Importance of women reservation bill)

  • Global Gender Gap Report 2021 के अनुसार, राजनीतिक सशक्तीकरण सूचकांक में भारत के प्रदर्शन में गिरावट आई है और साथ ही महिला मंत्रियों की संख्या वर्ष 2019 के 23.1% से घटकर वर्ष 2021 में 9.1% तक पहुँच गई है।
  • सरकार के आर्थिक सर्वेक्षणों में भी यह माना जाता है कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिला प्रतिनिधियों की संख्या बहुत कम है।
  • यह विधेयक महिलाओं के उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करेगा। सदस्यता के लिए प्रतिस्पर्धा में भाग लेने का मौका मिलेगा, जिससे महिलाएँ अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर सकेंगी और उनके प्रति समाज की दृष्टि में सुधार होगा।

महिला विधायकों के आंकड़ें (Women Legislator)

Women Legislator

  • साल 2022 दिसंबर में कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक, आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु और तेलंगाना जैसे राज्यों में 10 प्रतिशत से भी कम महिला विधायक हैं। 
  • वहीं, बिहार (10.70), छत्तीसगढ़ (14.44), हरियाणा (10), झारखंड (12.35), पंजाब (11.11), राजस्थान (12), उत्तराखंड (11.43), उत्तर प्रदेश (11.66), पश्चिम बंगाल (13.70) और दिल्ली (11.43) विधानसभाओं में 10 प्रतिशत से अधिक महिला विधायक हैं। 
  • मौजूदा समय में लोकसभा में 78 महिला सदस्य चुनी गईं, जो 543 की कुल संख्या का 15 प्रतिशत से भी कम है। सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, राज्यसभा में भी महिलाओं का प्रतिनिधित्व लगभग 14 प्रतिशत है। 

निष्कर्ष:

महिला आरक्षण विधेयक 2023 भारतीय समाज के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है जो महिलाओं को समाज में ओर अधिक सकारात्मक भूमिका देने का प्रयास कर रहा है। यह एक नई आशा और नई संभावनाओं का दरवाजा खोल सकता है और महिलाओं के समर्थन में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह सिर्फ एक नए भारत की शुरुआत हो सकती है, जिसमें महिलाएँ समाज के हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभा रही होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *