Vikram-32 chip, जिसे आधिकारिक तौर पर विक्रम-3201 के नाम से जाना जाता है, भारत का पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL), चंडीगढ़ में विकसित किया गया है। यह चिप विशेष रूप से अंतरिक्ष मिशनों और रक्षा क्षेत्र की कठोर परिस्थितियों के लिए डिज़ाइन की गई है। इसे 2 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया गया।

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Vikram-32 chip की प्रमुख विशेषताएँ:
- 32-बिट आर्किटेक्चर: यह एक बार में 32 बिट्स डेटा को प्रोसेस कर सकती है, जो जटिल गणनाओं और बड़े पैमाने की मेमोरी को हैंडल करने में सक्षम है।
- कठोर परिस्थितियों के लिए डिज़ाइन: यह -55°C से +125°C तक के तापमान, अत्यधिक गर्मी, ठंड, कंपन, और विकिरण जैसी अंतरिक्ष की चरम परिस्थितियों को सहन कर सकती है।
- ऊर्जा दक्षता: यह 3.3 वोल्ट की एकल सप्लाई पर 100 MHz क्लॉक स्पीड के साथ काम करती है और 500 mW से कम बिजली खपत करती है, जबकि इसका स्टैंडबाय करंट 10 mA से भी कम है।
- Ada प्रोग्रामिंग समर्थन: यह एयरोस्पेस में व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली Ada प्रोग्रामिंग भाषा को सपोर्ट करती है।
- 1553B बस इंटरफेस: रॉकेट के अन्य एवियोनिक्स मॉड्यूल्स के साथ विश्वसनीय कनेक्टिविटी प्रदान करती है।
- 180-नैनोमीटर CMOS तकनीक: यह तकनीक भले ही उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए पुरानी हो, लेकिन अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए इसकी विश्वसनीयता और मजबूती इसे उपयुक्त बनाती है।
- स्वदेशी सॉफ्टवेयर टूल्स: इसके लिए Ada कंपाइलर, असेंबलर, लिंकर, सिम्युलेटर, और इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरनमेंट (IDE) जैसे सभी सॉफ्टवेयर टूल्स भारत में ही विकसित किए गए हैं।
इसका उपयोग कहाँ होगा?
- अंतरिक्ष मिशन: Vikram-32 chip का उपयोग रॉकेट और सैटेलाइट्स के लिए नेविगेशन, नियंत्रण, और मिशन प्रबंधन में किया जाता है। इसे PSLV-C60 मिशन के दौरान POEM-4 (PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल) के मिशन मैनेजमेंट कंप्यूटर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
- रक्षा और अन्य क्षेत्र: इसका मजबूत डिज़ाइन इसे रक्षा, एयरोस्पेस, ऑटोमोटिव, और ऊर्जा क्षेत्रों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाता है।
- आत्मनिर्भरता: यह चिप भारत की विदेशी चिप्स पर निर्भरता को कम करने और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- डिजिटल हीरा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “21वीं सदी का डिजिटल हीरा” करार दिया, जो आधुनिक तकनीक में इसकी अहमियत को दर्शाता है।
निर्माण और विकास:
- निर्माण: चिप का डिज़ाइन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) द्वारा किया गया और इसका निर्माण पंजाब के मोहाली स्थित SCL की 180nm CMOS फैसिलिटी में हुआ।
- उन्नति: यह 2009 से उपयोग में आने वाले 16-बिट विक्रम-1601 प्रोसेसर का उन्नत संस्करण है, जिसमें 64-बिट फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन्स और बेहतर प्रोसेसिंग क्षमता शामिल है।
- सरकारी समर्थन: भारत सरकार की PLI (Production Linked Incentive) और DLI (Design Linked Incentive) योजनाओं के तहत सेमीकंडक्टर तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिसमें 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश शामिल है।
भारत के लिए क्यों अहम है?
Vikram-32 चिप भारत को सेमीकंडक्टर निर्माण में वैश्विक स्तर पर ताइवान, चीन, और अमेरिका जैसे देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करने की दिशा में ले जा रही है। यह भारत के 2032 तक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में शीर्ष पांच देशों में शामिल होने के लक्ष्य का हिस्सा है। यह न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की स्थिति को भी मजबूत करेगी
यह चिप भारत को विदेशी प्रोसेसर पर निर्भरता से मुक्त कर सकती है। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम है और भारत की सेमीकंडक्टर क्षमता को वैश्विक मंच पर दिखाता है।
Vikram-32 चिप से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
Vikram-32 चिप क्या है?
Vikram-32, जिसे आधिकारिक तौर पर Vikram-3201 कहा जाता है, भारत का पहला स्वदेशी 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी (SCL), चंडीगढ़ द्वारा विकसित किया गया है। यह अंतरिक्ष मिशनों और रक्षा क्षेत्र के लिए डिज़ाइन की गई एक उन्नत तकनीक है।
यह चिप कब और कहाँ लॉन्च की गई?
इसका लॉन्च 2 सितंबर, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन के दौरान हुआ, जहाँ इसे केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किया।
इस चिप का उपयोग कहाँ होता है?
इसका उपयोग रॉकेट और सैटेलाइट्स के नेविगेशन, नियंत्रण, और मिशन प्रबंधन में होता है। इसे PSLV-C60 मिशन के POEM-4 में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है। इसके अलावा, रक्षा, ऑटोमोटिव, और ऊर्जा क्षेत्रों में भी इसका उपयोग हो सकता है।
विक्रम-32 चिप का महत्व क्या है?
यह चिप भारत की विदेशी सेमीकंडक्टर पर निर्भरता को कम करती है और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देती है। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “21वीं सदी का डिजिटल हीरा” कहा है, जो भारत को 2032 तक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में शीर्ष पांच देशों में लाने के लक्ष्य का हिस्सा है।
इस चिप का निर्माण कैसे और कहाँ हुआ?
इसका डिज़ाइन विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) द्वारा किया गया और निर्माण पंजाब के मोहाली स्थित SCL की 180nm CMOS फैसिलिटी में हुआ। यह 2009 के 16-बिट विक्रम-1601 का उन्नत संस्करण है।
सरकार इस प्रोजेक्ट को कैसे सपोर्ट कर रही है?
भारत सरकार PLI (Production Linked Incentive) और DLI (Design Linked Incentive) योजनाओं के तहत ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक का निवेश कर रही है, जो सेमीकंडक्टर तकनीक को बढ़ावा दे रही है।
भविष्य में विक्रम-32 चिप का क्या प्रभाव होगा?
यह न केवल अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्रों में भारत की क्षमताओं को बढ़ाएगी, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी और अन्य क्षेत्रों जैसे ऑटोमोटिव और ऊर्जा में भी योगदान दे सकती है।