Navjat Shishu Ki Dekhbhal Kaise Kare? नवजात बच्चे की देखभाल कैसे करे :(नए माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण जानकारी)
Navjat Shishu Ki Dekhbhal Kaise Kare
नए शिशु का आगमन एक माता-पिता के लिए एक अद्वितीय और सुखद अनुभव होता है। नवजात शिशु की देखभाल में सावधानी और स्वास्थ्य पर ध्यान देने की जरूरत होती है। इस ब्लॉग में, हम आपको नबजात बच्चे की देखभाल के कुछ महत्वपूर्ण सुझाव देंगे जो आपके नए जन्मे शिशु के लिए मददगार साबित हो सकते हैं।
Table of Contents
नवजात शिशु की देखभाल के लिए टिप्स:
1 स्वच्छता का ध्यान रखें:
स्वच्छता का ध्यान रखें
- नवजात शिशु के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है कि आप अपने हाथों को खूबसुरती से धोएं। शिशु के साथ संपर्क से पहले हमेशा हाथ धोना जरूरी होता है।
- शिशु की चादर, कपड़े और इस्तेमाल में आने वाली हर एक चीज़ की सफाई का ध्यान रखें। इन्हें नियमित अंतराल पर धोकर रखें।
- नवजात शिशु के लिए आपके घर का वातावरण भी स्वच्छ और हानिकारक द्रव्यों से मुक्त होना चाहिए।
2 स्तनपान ( Breastfeeding )
स्तनपान ( Breastfeeding )
माँ का दूध को नवजात शिशु के लिए सबसे अच्छा पोषण माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां का दूध बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए काफी जरूरी होता है। बच्चे को अपना दूध पिलाने से न सिर्फ शिशु को, बल्कि मां को भी कई सारे फायदे मिलते हैं। कुछ दिनों के शिशु को हर एक से दो घंटे में स्तनपान करवाना जरूरी होता है। इस समय वह दूध को चूसना और निगलना सीखता है। और फिर जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसका पेट और दूध की जरूरत भी बढ़ने लगती है। कुछ हफ्तों या महीने के बच्चे को हर चार से पांच घंटे में दूध पिलाना जरूरी होता है। इसके बाद जब बच्चा छह महीने का हो जाता है, तो आप बच्चे को साबुन आहार खिलाना शुरू कर सकते हैं। छह महीने से दो साल के बीच आप जरूरत के अनुसार बच्चे को स्तनपान करवा सकते हैं
अगर मां का दूध नहीं होता हो या शिशु को दूध पीलाने में किसी भी समस्या का सामना कर रहे हों, तो डॉक्टर से सलाह लें और उनकी दिशा में बच्चे को दूध पिलाएं।
3 दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलाना (baby burp after feeding )
दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलाना
(baby burp after feeding)
बच्चे को फीड करवाने के बाद डकार दिलाना बेहद ज़रूरी होता है। दरअसल,स्तनपान ( Breastfeeding ) या फिर बोतल का फीड लेते समय बच्चे के पेट में बहुत हवा चली जाती है, जिसे डकार दिलवाकर उस हवा को बाहर निकाला जा सकता है।अगर बच्चे को दूध पिलाने के बाद डकार ना दिलाई जाए, तो इससे बच्चे के पेट में गैस बनने लगती है, जिससे उसके पेट में दर्द, असहजता व अन्य कई समस्याएं होती है। इसके लिए आप इन आसान तरीकों से डकार दिला सकती है। है :
- सीने से लगाकर पीठ पर थपथपाएं
- कंधे की मदद से दिलाएं डकार
- हाथों पर लिटाकर दिलाएं डकार
- फीड के बीच में दिलाएं डकार
4 मालिश (Baby Massage )
मालिश (Baby Massage )
शिशुओं की मालिश उनके स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण होती है। यह उनके शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करती है, उनके मांसपेशियों को बढ़ाती है, और उनके बोन्स को मजबूती देती है। मालिश बच्चे का वजन बढ़ाने, दूध पचाने और मानसिक विकास में भी मदद करती है। छोटे बच्चे की मालिश करते समय सावधानी बरतनी चाहिए और उनके स्वास्थ्य और त्वचा की देखभाल के लिए उपयुक्त तेल का चयन करना महत्वपूर्ण है। यहां कुछ तेल के बारे में जानकारी दी जा रही है जो छोटे बच्चों की मालिश के लिए उपयुक्त हो सकते हैं:
- जैतून का तेल (Olive Oil): जैतून का तेल बच्चे की त्वचा को मोईस्चराइज़ करता है और रूकी त्वचा को नर्म और मुलायम बनाता है।
- नारियल तेल (Coconut Oil): नारियल तेल भी बच्चों की मालिश के लिए उपयुक्त होता है। यह त्वचा को मोईस्चराइज़ करता है, जल्दी सूखने नहीं देता और त्वचा को सुंदर बनाने में मदद कर सकता है।
- बादाम का तेल (Almond Oil): बादाम का तेल भी त्वचा के लिए फायदेमंद होता है और बच्चों की मालिश के लिए उपयुक्त हो सकता है। यह त्वचा को कोमल और स्वस्थ बनाने में मदद करता है।
- जौ तेल (Barley Oil): जौ तेल भी बच्चों के लिए अच्छा होता है और त्वचा की मालिश के लिए उपयुक्त हो सकता है।
5 शिशु को नहलाना (Baby Bathing)
शिशु को नहलाना (Baby Bathing)
अमेरिकन एकेडमी ऑफ डर्मेटोलॉजी एसोसिएशन के अनुसार नवजात शिशु को हर दिन नहलाने की जरूरत नहीं होती, लेकिन अगर उसने अपने आपको पूरी तरह से गंदा कर दिया हो, पसीने से तरबतर हो, मल या पेशाब से बदन गंदा हो गया हो।
असल में शिशु तो अक्सर गोद में या बिस्तर पर ही होते हैं, इसलिए उनके शरीर में गंदगी उतनी नहीं लगती। बस आप हर दिन जितनी भी बार डायपर बदलें, उसके प्राइवेट पार्ट्स को अच्छी तरह से वाटर वाइप्स या मुलायम भींगे कपडे से साफ करने के बाद ही डायपर पहनाएं।
शिशु को नहलाने तभी ले जाएं जब उसका पेट भरा हुआ और नींद भी पूरी हो गई हो, नहीं तो बच्चा चिड़चिड़े मूड में रहते हैं या नहलाते समय चिल्लाते हैं।
सबसे पहले, अपनी कलाई से पानी का परीक्षण करे और इसे घुमाकर सुनिश्चित करें कि पानी बहुत गर्म नहीं है। जब आप तैयार हों, तो अपने बच्चे को एक हाथ से उसके सिर और गर्दन को सहारा देते हुए धीरे से टब में बिठाएं, फिर दूसरे हाथ से उसे नहलाते समय एक हाथ से उसकी मदद करना जारी रखें।
6 नाभि संबंधी देखभाल
- शिशु की नाभि जन्म के बाद गर्भनाल में बची हुई चीज़ होती है।
- गर्भनाल स्टंप को साफ और सूखा रखें। यह अपने आप गिर जायेगा.
- यदि आपको नाभि स्टंप गिरने के बाद नाभि के आसपास लाल या बदरंग गांठ, उभार या सूजन दिखाई दे तो अपने डॉक्टर से मिलें।
- अपने बच्चे के गर्भनाल स्टंप और नाभि क्षेत्र को साफ रखने के लिए केवल पानी का उपयोग करें और फिर साफ कपड़े से सुखाएं
- बच्चे के डायपर को ठूंठ से नीचे बांधें और उस हिस्से को खुला रखें। इस हिस्से को हमेशा सूखा रखें।
7 नवजात शिशु को कैसे पकड़ें
बच्चे को गोद में लेते समय, अपना एक हाथ शिशु के सिर के नीचे और दूसरे हाथ को उनके कमर के नीचे रखते हुए उन्हें अपने सीने तक उठाएं। जब भी आप शिशु को उठा रहे हों या उसे गोद में लिए हों हमेशा बच्चे के सिर को सहारा देना सुनिश्चित करें। वहीं, बच्चे को हवा में उछालने और जोर से हिलाने आदि से बचें। ऐसा करने से शिशु को गंभीर समस्याएं हो सकती हैं
8 डायपर से जुड़ी देखभाल (changing diapers )
आप अपने शिशु के लिए डिस्पोजेबल diapers इस्तेमाल कर रही हो या दोबारा इस्तेमाल करने वाला सॉफ्ट कपड़े वाला diapers या लंगोटी। अगर बच्चा अच्छी तरह दूध पी रहा है, तो वह बार बार डायपर गीला कर सकता है। ऐसे में अगर समय रहते डायपर न बदला जाए, तो उसे diaper रैश हो सकते हैं।इसमें बच्चे के नितंब के आसपास की त्वचा लाल, जलनशील और पपड़ीदार हो सकती है। इससे बचने के लिए बच्चे के गीले diaper को जितनी जल्दी हो सके बदल दे। बच्चे के गुप्तांग के हिस्से को साफ व सूखा रखें और हर दो घंटे में या शौच करने के बाद diaper बदलें। Diaper बदलते समय उसे गर्म पानी से साफ करके, अच्छी तरह से पोंछकर ही नया diaper पहनाएं। अगर रैश ज्यादा हो जाएं, तो रैश क्रीम लगाएं और समस्या गंभीर होने पर तुरंत doctor को संपर्क करें।
9 नवजात शिशु को सुलाना
यह जानकर शायद आपको हैरानी होगी कि नवजात शिशु 24 में से 16 घंटे सोता है। अक्सर वो दो से चार घंटों तक लगातार सो सकते हैं, लेकिन पूरी रात सोना उनके लिए मुमकिन नहीं हो पाता। बच्चों का पेट बहुत छोटा होता है और दूध बहुत जल्दी पच जाता है, जिस कारण उन्हें हर चार घंटे (लगभग) में दूध पिलाना जरूरी होता है । अपने बच्चे को सुलाने के लिए आप कुछ उपाय अपना सकते हैं, जैसे उन्हें हर रोज एक समय पर सुलाने की आदत डलवाना। सुलाने से पहले उनकी मालिश करके नहलाना, जिससे बच्चा रिलैक्स हो जाए। सुरक्षा के नजरिए से बच्चे को हमेशा पीठ के बल सुलाएं और उसके चेहरे को खुला रखें
10 टीकाकरण(वैक्सीन)
बीमारियों से बचने के लिए टीकाकरण (वैक्सीन) करवाया जाता है। शिशु के जन्म के बाद एक साल तक उसे कई तरह के टीके लगवाए जाते हैं जो कि उसे बच्चों में होने वाली आम बीमारियों से बचाते हैं। टीकाकरण से बच्चों में बीमारियों या संक्रमण होने के खतरे को काफी कम किया जा सकता है। दो महीने, चार महीने, 6 महीने और एक साल का होने पर बच्चे को कई तरह के वैक्सीन लगवाएं जाते हैं।