(Parenting )जब हम अपने बच्चों को रोज़ाना टोकते हैं—“जल्दी उठो!”, “होमवर्क किया?”, “फोन मत चलाओ!”—तो क्या हम कभी सोचते हैं कि उनके दिल में क्या चल रहा है? बचपन सिर्फ स्कूल और स्कोर कार्ड का नाम नहीं है, वो एक emotion है… एक feeling है… जहाँ बच्चे चाहते हैं कि कोई उन्हें सुने, समझे और बिना जज किए गले लगाए। इस blog में हम बात करेंगे उन छोटी-छोटी बातों की जो बच्चों के लिए बड़ी होती हैं। थोड़ा love, थोड़ा timeऔर थोड़ा सा ‘are u ok?’—बस यही चाहिए
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क्या डाँट बच्चों का भविष्य तय करती है? (Parenting )
अक्सर हम बच्चों से उम्मीदें तो बहुत रखते हैं—अच्छे नंबर, अच्छे behaviour , टाइम पर खाना… लेकिन क्या हम उनकी असली ज़रूरतें समझते हैं? इस ब्लॉग में हम बात करें है कि बच्चों को सबसे ज़्यादा क्या चाहिए—मम्मी-पापा का प्यार, ध्यान, और खुलकर बात करने की आज़ादी:
1. मम्मी-पापा का प्रेशर (दबाव) VS प्यार
यह बच्चों के पालन-पोषण में दो मुख्य दृष्टिकोणों को दर्शाता है, और इनका बच्चों के जीवन पर बहुत अलग असर पड़ता है।

मम्मी-पापा का प्रेशर (दबाव) VS प्यार ( Parenting )
प्रेशर (दबाव):
“प्रेशर” या “दबाव” तब होता है जब माता-पिता अपने बच्चों पर कुछ खास अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए अत्यधिक जोर देते हैं, अक्सर बिना उनकी रुचियों, क्षमताओं या भावनात्मक जरूरतों का ध्यान रखे। यह कई रूपों में दिख सकता है:
- शैक्षणिक दबाव: अच्छे नंबर लाने, टॉप करने, या किसी खास स्ट्रीम/कॉलेज में जाने के लिए लगातार जोर देना, चाहे बच्चा उसमें सहज न हो।
- करियर का दबाव: बच्चे पर अपनी पसंद का करियर थोपना, जैसे डॉक्टर, इंजीनियर बनना, जबकि बच्चा कुछ और करना चाहता हो।
- सामाजिक दबाव: बच्चों को दूसरों (रिश्तेदारों के बच्चों, दोस्तों) से तुलना करना और उन्हें उनके जैसा बनने के लिए कहना।
प्रेशर के नकारात्मक प्रभाव: Parenting
- तनाव और चिंता: बच्चा लगातार तनाव और चिंता में रहता है कि वह माता-पिता की अपेक्षाओं पर खरा उतर पाएगा या नहीं।
- आत्मविश्वास में कमी: बच्चे को लगातार महसूस होता है कि वह पर्याप्त अच्छा नहीं है, जिससे आत्मविश्वास कमजोर होता है।
- विद्रोह या अलगाव: कुछ बच्चे विद्रोही हो जाते हैं, जबकि कुछ खुद को माता-पिता से अलग कर लेते हैं।
- डर: गलती करने या असफलता से बहुत डरते हैं।
- खुशी में कमी: बच्चा पढ़ाई या किसी भी गतिविधि में आनंद महसूस नहीं कर पाता, क्योंकि वह सिर्फ दबाव में काम कर रहा होता है।
- मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं: डिप्रेशन, एंग्जायटी या अन्य मानसिक समस्याएं विकसित हो सकती हैं।
2. प्यार(Love )
“प्यार” यहाँ केवल स्नेह व्यक्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें बच्चे को समझना, उसका समर्थन करना, उसे स्वतंत्र रूप से विकसित होने देना और उसकी भावनात्मक जरूरतों को पूरा करना शामिल है।
- बिना शर्त प्यार: बच्चे को वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसा वह है, उसकी सफलताओं और असफलताओं दोनों में उसके साथ खड़े होना चाहिए।
- खुला संचार: बच्चे को खुलकर अपनी बातें, डर और सपने साझा करने के लिए प्रोत्साहित करना।
- समझ और सहानुभूति: बच्चे की भावनाओं, रुचियों और चुनौतियों को समझना और सहानुभूति दिखाना।
- सकारात्मक मार्गदर्शन: सही-गलत सिखाना, लेकिन डांटने या धमकाने के बजाय प्यार और तर्क से समझाना।
- स्वतंत्रता और समर्थन: बच्चे को अपनी पसंद बनाने की स्वतंत्रता देना और उसके चुने हुए रास्ते पर उसे पूरा समर्थन देना।
- सीमाएं तय करना: प्यार से और स्पष्ट रूप से सीमाएं तय करना, लेकिन उन सीमाओं के भीतर बच्चे को सुरक्षित महसूस कराना।
प्यार के सकारात्मक प्रभाव:
- आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान: बच्चा सुरक्षित और मूल्यवान महसूस करता है, जिससे उसका आत्मविश्वास बढ़ता है।
- खुशी और सकारात्मकता: बच्चा जीवन और अपनी गतिविधियों में आनंद महसूस करता है।
- मजबूत रिश्ते: माता-पिता के साथ गहरा और विश्वासपूर्ण रिश्ता बनता है।
- स्वतंत्र सोच: बच्चा अपने निर्णय लेने और समस्याओं को हल करने में सक्षम होता है।
- लचीलापन: असफलताओं से सीखने और आगे बढ़ने की क्षमता विकसित होती है।
- बेहतर मानसिक स्वास्थ्य: बच्चा भावनात्मक रूप से स्वस्थ और संतुलित रहता है।
मम्मी-पापा का प्रेशर बच्चे को अंदर से कमजोर और डरा हुआ बनाता है, जबकि प्यार उसे अंदर से मजबूत, आत्मविश्वासी और खुशमिज़ाज बनाता है। आदर्श पालन-पोषण प्यार, समझ और सकारात्मक मार्गदर्शन का संतुलन होता है।
“WHO की रिपोर्ट के अनुसार, harsh parenting से बच्चों में anxiety और behavioral issues बढ़ सकते हैं, जबकि सकारात्मक संवाद उनके emotional growth को बेहतर बनाता है.”
3. Homework से ज़्यादा Hugs
“Homework से ज़्यादा Hugs” एक प्यारा और गहरा विचार है जो पेरेंटिंग की इमोशनल ज़रूरतों को उजागर करता है। इसका मतलब है कि बच्चों को सिर्फ पढ़ाई या परफॉर्मेंस की चिंता नहीं होती—उन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है प्यार, अपनापन और समझदारी की।

Homework से ज़्यादा Hugs (Parenting )
बच्चे जब थके होते हैं, परेशान होते हैं या गलती कर बैठते हैं, तो उन्हें सबसे पहले एक emotional reassurance चाहिए—not a lecture. एक hug या प्यार भरी बात उन्हें वो comfort देती है जो किसी भी “homework reminder” से ज़्यादा असरदार होती है। Emotional connection और physical affection बच्चों की ग्रोथ के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना कि पढ़ाई।
उदाहरण:
Imagine: बच्चा स्कूल से थका-हारा आता है।
मम्मी कहती हैं—“चलो पहले गले लगो, फिर बताओ दिन कैसा था।”
बच्चा खुलकर बात करता है, और फिर खुद ही कहता है—“चलो अब homework करते है।
Parenting Tip :
हर दिन एक ऐसा moment ज़रूर बनाएं जहाँ आप बच्चे को बिना किसी टास्क या टारगेट के सिर्फ प्यार दें। चाहे वो सोने से पहले की कहानी हो, या स्कूल से आने के बाद की चाय पर बातचीत।
कोई भी शैक्षणिक कार्य शुरू करने से पहले, बच्चे से पूछें कि उसका दिन कैसा था, उसे गले लगाएँ, और उसे सुरक्षित महसूस कराएँ।
अगर होमवर्क में संघर्ष हो रहा है, तो मदद करें और धीरज रखें, न कि डाँटें।
डाँट से होमवर्क पूरा हो सकता है, लेकिन प्यार से बच्चे का दिमाग और भविष्य दोनों मज़बूत बनते हैं।
अच्छे ग्रेड्स से ज़्यादा ज़रूरी है खुश, दयालु और आत्मविश्वासी इंसान बनना।
Emotional Health ही सबसे बड़ी नींव है जिसके ऊपर बच्चे की शैक्षणिक सफलता की इमारत खड़ी होती है।
“आपके बच्चे को कब hug की सबसे ज़्यादा ज़रूरत महसूस हुई?”
हर बच्चे की ज़िंदगी में एक ऐसा पल आता है जब उन्हें सिर्फ एक गले की ज़रूरत होती है—ना कोई सलाह, ना कोई सवाल… बस एक प्यारा सा hug।
क्या वो पल स्कूल में कोई हार थी? या पहली बार जब उन्होंने कुछ नया करने की कोशिश की? या शायद तब जब उन्होंने खुद को अकेला महसूस किया?
👉 हमें बताइए!
आपके बच्चे ने कब ऐसा moment महसूस किया जहाँ एक hug ने सब कुछ ठीक कर दिया?
📩 अपनी कहानी, एक छोटा सा किस्सा या सिर्फ एक लाइन—जो भी आपके दिल से निकले—हमें भेजिए।
हम Yuvamantra पर कुछ प्यारी कहानियाँ शेयर करेंगे ताकि और parents भी समझ सकें कि प्यार की ताकत कितनी बड़ी होती है।
