नैतिक कहानियाँ न केवल बच्चों का मनोरंजन करती हैं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार, सोचने की क्षमता और सही-गलत की समझ भी सिखाती हैं। नीचे हिंदी में शीर्ष 10 नैतिक कहानियाँ दी गई हैं, जिनमें आसान भाषा का इस्तेमाल किया गया है ताकि सभी को आसानी से समझ आ सके।

प्रेरणादायक हिंदी कहानियाँ
10 Motivational Stories In Hindi
Table of Contents
1 . टूटे पंखों वाली पक्षी की प्रेरणादायक कहानी (The bird with a broken wing)

टूटे पंखों वाली पक्षी की प्रेरणादायक कहानी
Motivational Stories In Hindi
एक समय की बात है, हरे-भरे जंगल में एक छोटी सी चिड़िया रहती थी। वह हर रोज़ अपनी मीठी आवाज़ में गाती और आसमान में ऊँची उड़ान भरती थी। वह अपनी स्वतंत्रता और खुले आकाश में उड़ने का आनंद लेती थी।
लेकिन एक दिन, तेज आंधी आई। उस आंधी में चिड़िया का एक पंख टूट गया, और वह आसमान से नीचे गिर पड़ी। जब वह गिरी, तो उसे बहुत दर्द हुआ। अब उसके पंखों में इतनी ताकत नहीं बची थी कि वह फिर से उड़ सके।
चिड़िया ने कई बार कोशिश की, पर हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी। वह खुद से कहने लगी, “अब मैं कभी उड़ नहीं पाऊँगी। मेरा जीवन समाप्त हो गया।” उसकी आँखों में आंसू आ गए और उसने अकेले बैठकर रोना शुरू कर दिया। वह बहुत दुखी थी और सोचने लगी कि शायद उसकी उड़ने की यात्रा अब यहीं समाप्त हो गई है।
कुछ दिनों बाद, उसी जंगल में एक बूढ़ा कौआ आया। उसने चिड़िया को देखा और उसकी हालत समझ ली। कौआ उसके पास गया और बोला, “तुम क्यों इतनी उदास हो, छोटी चिड़िया?”
चिड़िया ने दुखी होकर कहा, “मेरा एक पंख टूट गया है। अब मैं कभी उड़ नहीं पाऊँगी। मेरा जीवन खत्म हो गया है।”
कौआ मुस्कुराया और बोला, “तुम्हारा पंख टूटा है, लेकिन हिम्मत नहीं। एक बार फिर कोशिश करो। धैर्य रखो और अपने आप पर विश्वास करो।”
चिड़िया ने कहा, “लेकिन मेरे पंख में अब ताकत नहीं बची। मैं कैसे उड़ सकती हूँ?”
कौआ ने समझाया, “जब हम अपनी कमजोरियों पर ध्यान देते हैं, तो हम कभी आगे नहीं बढ़ सकते। अगर तुम अपने दिल में यह विश्वास जगाओ कि तुम उड़ सकती हो, तो कोई ताकत तुम्हें रोक नहीं सकती।”
चिड़िया ने कौआ की बातों पर गौर किया और अपने दिल में थोड़ी हिम्मत जुटाई। उसने धीरे-धीरे अपने पंख फड़फड़ाने शुरू किए। पहले तो उसे थोड़ा दर्द हुआ, लेकिन उसने हार नहीं मानी। हर दिन वह थोड़ा और अभ्यास करती रही।
समय बीतने के साथ, चिड़िया का टूटा पंख धीरे-धीरे ठीक होने लगा। वह अब फिर से उड़ने लगी थी, हालांकि पहले की तरह ऊँची उड़ान भरने में उसे समय लग रहा था। लेकिन उसने अपने प्रयासों को कभी रोका नहीं। उसने खुद पर विश्वास बनाए रखा और हर दिन नई ऊर्जा से कोशिश करती रही।
कुछ ही समय बाद, वह फिर से आसमान में ऊँची उड़ान भरने लगी। उसकी उड़ान पहले से भी ज्यादा सुंदर और मुक्त थी। अब वह जान चुकी थी कि असली उड़ान पंखों से नहीं, बल्कि आत्मविश्वास और साहस से होती है।
उस दिन से चिड़िया ने अपनी सीमाओं से परे सोचना शुरू किया और उसे यह समझ आया कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ आएं, अगर हम अपने विश्वास और साहस को नहीं छोड़ते, तो हम किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।
इस कहानी की सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में कठिनाइयाँ और परेशानियाँ आती हैं, लेकिन अगर हम धैर्य और आत्मविश्वास बनाए रखें, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
इस कहानी को आप Youtube video में भी देख सकते है।
2. शिकंजी का स्वाद ( Taste of shikanji ) Motivational Stories In Hindi

शिकंजी का स्वाद
Motivational Stories In Hindi
एक अध्यापक क्लास ले रहे थे। क्लास के सभी छात्र बड़ी ही रूचि से उनके लेक्चर को सुन रहे थे. उनके पूछे गये सवालों के जवाब दे रहे थे. लेकिन उन छात्रों के बीच कक्षा में एक छात्र ऐसा था, जो चुपचाप और गुमसुम बैठा हुआ था .
अध्यापक पहले ही दिन उस छात्र को नोटिस कर लिया, लेकिन कुछ नहीं बोले। लेकिन जब 4 -5 दिन तक ऐसा ही चला, तो उन्होंने उस छात्र को क्लास के बाद अपने केबिन में बुलवाया और पूछा, “तुम हर समय उदास रहते हो. क्लास में अकेले और चुपचाप बैठे रहते हो. लेक्चर पर भी ध्यान नहीं देते. क्या बात है? कुछ परेशानी है क्या?”
“सर, वो…..” छात्र कुछ हिचकिचाते हुए बोला, “….मेरे अतीत में कुछ ऐसा हुआ है, जिसकी वजह से मैं परेशान रहता हूँ. समझ नहीं आता क्या करूं?”
अध्यापक भले व्यक्ति थे। उन्होंने उस छात्र को शाम को अपने घर पर बुलवाया।
शाम को जब छात्र अध्यापक के घर पहुँचा, तो अध्यापक ने उसे अंदर बुलाकर बैठाया। फिर स्वयं किचन में चले गये और शिकंजी बनाने लगे. उन्होंने जानबूझकर शिकंजी में ज्यादा नमक डाल दिया।
फिर किचन से बाहर आकर शिकंजी का गिलास छात्र को देकर कहा, “ये लो, शिकंजी पियो.”
छात्र ने गिलास हाथ में लेकर जैसे ही एक घूंट लिया, अधिक नमक के स्वाद के कारण उसका मुँह अजीब सा बन गया. यह देख अध्यापक ने पूछा, “क्या हुआ? शिकंजी पसंद नहीं आई?”
“नहीं सर, ऐसी बात नहीं है. बस शिकंजी में नमक थोड़ा ज्यादा है.” छात्र बोला।
“अरे, अब तो ये बेकार हो गया. लाओ गिलास मुझे दो. मैं इसे फेंक देता हूँ.” अध्यापक ने छात्र से गिलास लेने के लिए अपना हाथ बढ़ाया। लेकिन छात्र ने मना करते हुए कहा, “नहीं सर, बस नमक ही तो ज्यादा है. थोड़ी चीनी और मिलायेंगे, तो स्वाद ठीक हो जायेगा.”
यह बात सुन अध्यापक गंभीर हो गए और बोले, “सही कहा तुमने। अब इसे समझ भी जाओ। ये शिकंजी तुम्हारी जिंदगी है. इसमें घुला अधिक नमक तुम्हारे अतीत के बुरे अनुभव है। जैसे नमक को शिकंजी से बाहर नहीं निकाल सकते, वैसे ही उन बुरे अनुभवों को भी जीवन से अलग नहीं कर सकते. वे बुरे अनुभव भी जीवन का हिस्सा ही हैं। लेकिन जिस तरह हम चीनी घोलकर शिकंजी का स्वाद बदल सकते हैं. वैसे ही बुरे अनुभवों को भूलने के लिए जीवन में मिठास तो घोलनी पड़ेगी ना। इसलिए मैं चाहता हूँ कि तुम अब अपने जीवन में मिठास घोलो। ”
अध्यापक की बात छात्र समझ गया और उसने निश्चय किया कि अब वह बीती बातों से परेशान नहीं होगा।
इस कहानी की सीख:
जीवन में अक्सर हम अतीत की बुरी यादों और अनुभवों को याद कर दु:खी होते रहते हैं। इस तरह हम अपने वर्तमान पर ध्यान नहीं दे पाते और कहीं न कहीं अपना भविष्य भी बिगाड़ लेते हैं। जो हो चुका, उसे सुधारा नहीं जा सकता। लेकिन कम से कम उसे भुलाया तो जा सकता है और उन्हें भुलाने के लिए नई मीठी यादें हमें आज बनानी होगी। जीवन में मीठे और ख़ुशनुमा लम्हों को लाइये, तभी तो जीवन में मिठास आयेगी।
इस कहानी की Story Book (ज़िन्दगी की मिठास )
3 . कंजूस और साधु (The Miser and the Sadhu) Motivational Stories In Hindi

कंजूस और साधु
Motivational Stories In Hindi
एक गाँव में एक बहुत ही बड़ा कंजूस रहता था | वह इतना कंजूस था की अगर वह खाना खाने बैठता था तो अपना दरवाजा इसलिए बंद कर लेता था कि कहीं उसके खाते समय कोई आ गया तो उसे भी खाना खिलाना ना पड़ जाये |
पर एक दिन जिस समय वह खाना खाने के लिए बैठा तो दरवाजा बंद करना भूल गया |
अभी वह कंजूस खाना खाने के लिए बैठा ही था कि तभी एक साधु भिक्षा मांगने आ गया | उसने कहा – “ बेटा! भगवान के नाम पर एक रोटी तो दो |”
कंजूस तुरंत खाना छोड़कर उठा और उसने साधु को वहां से टालने की कोशिश की | मगर साधु अड़ीयल था | वह वहीं खड़ा रहा |
साधु को टलता न देख कंजूस ने सोचा “ यह साधु तो बड़ा अडियल है | इसे तो कुछ देकर ही टालना होगा |”
उसने आधी रोटी साधु को देनी चाही |
मगर साधु ने आधी रोटी लेने से मना कर दिया और कहा – “ मैं तो पूरी एक रोटी ही लूंगा |”
लेकिन कंजूस ने उसे पूरी रोटी नहीं दी और साधु ने आधी रोटी नहीं पकड़ी |
फिर वह कंजूस खाना खाकर अपने काम पर चला गया |
शाम को जब वह लौटकर अपने घर पर आया तो उसने साधु को अपने दरवाजे पर ही बैठा पाया |
तब उस कंजूस ने साधु की अडीकता देखकर उसे पूरी एक रोटी देनी चाही – “ लो बाबा तुम पूरी एक रोटी ही लो |”
“ अब एक नहीं मुझे दो रोटी चाहिए | क्योंकि अब खाने का दूसरा समय आ गया है |” एक रोटी अपनी और बढ़ता देखकर साधु महाराज ने तुरंत कहा |
“ ऐ….ऐ….. तुझे एक रोटी लेनी है तो ले |” कंजूस ने अकड़कर साधु को धिक्कारा |
मगर साधु ने उससे वह एक रोटी भी नहीं ली और कंजूस ने साधु के कहने पर उसे दो रोटी नहीं दी |
कंजूस अपने घर में घुसा दरवाजा बंद किया, खाना खाया और सो गया |
वह सुबह उठा तो उसने साधु को अपने दरवाजे पर ही बैठा पाया | उसे देखकर कंजूस घबरा गया | वह सोचने लगा – “ यदि साधु मेरे दरवाजे पर भूखा मर गया, तो मैं खामखा फस जाऊंगा |”
तब उसने साधु को दो रोटियां देनी चाही |
मगर फिर साधु ने कहा – “ अब तो खाने का तीसरा समय आ गया है | अब मुझे तीन रोटियां चाहिए |”
लेकिन इस बार भी कंजूस ने उसे तीन रोटियां नहीं दी और साधु ने उससे दो रोटियां नहीं ली |
इस प्रकार चार दिन बीत गये | साधु चार दिनों तक भूखा रहा, तो उसके शरीर में परिवर्तन आना स्वाभाविक ही था |
वह मरने हाल में दिखाई देने लगा | न खाने के कारण वह अत्यधिक कमजोर हो गया | साधु की यह हालत देखकर कंजूस बहुत घबराने लगा |
फिर उसने साधु के सामने हाथ जोड़कर कहा – “ महाराज! आपको जितनी भी रोटियां चाहिए, ले लीजिए | मगर आप यहां से चले जाइए |
साधु महाराज बोले – “ बच्चे! अब रोटी से काम नहीं चलेगा | अब मैं तो यहां से तभी हटूगा जब तुम मेरे साथ मिलकर एक कुआं ख़ुदवाओगे |”
साधु महाराज की यह बात सुनकर कंजूस का दम खुशक हो गया | वह बोला – “ यह आप क्या कह रहे हैं ? महाराज! मैं कुआ नहीं खुदवा सकता |”
“ अच्छा फिर ठीक है, मैं भी यहां से नहीं हटूंगा |”
साधु की बात कंजूस ने सुनी अवश्य थी | लेकिन वह उसकी बात को टालकर अपने काम पर चला गया |
मगर फिर उसकी बुद्धि रह-रहकर साधु की ओर जा रही थी | उसका मन काम में नहीं लग रहा था |
और फिर वह बीच में ही अपना काम छोड़कर चला आया |
साधु को वही पाकर उसने कहा – “ महाराज! मुझे तुम्हारी शर्त मंजूर है | अब तो तुम रोटी खा लो |”
फिर साधु ने कहा – “ बच्चे! अब एक कुऐ से काम नहीं चलेगा | अब तो तुम्हें दो कुऐ खुदवाने पड़ेंगे | एक मेरे लिए और दूसरा अपने लिए |”
कंजूस ने फिर साधु की बात को अस्वीकार करनी चाही | मगर तभी उसने सोचा कि “ यदि उसने साधु की बात को अस्वीकार कर दिया तो जितनी बार भी उसने उसकी बात को अस्वीकार कर दिया | उतनी बार ही साधु कुएं की संख्या में वृद्धि कर देगा | नहीं मुझे “हां” कर देनी चाहिए |
फिर उसने दो कुए खुदवाने के लिए साधु से “हां” कर ली |
और कुछ दिन बाद दोनों को यह तैयार हो गये |
तब साधु ने कहा – “ हे मानव ! में एक वर्ष बाद फिर आऊंगा | तब यदि मेरे कुए का पानी तुम्हारे कुए के पानी से कम रहा | तो मैं तीसरा कुआ खुदवा लूगा |” इतना कहकर वह साधु वहां से चला गया |
उसके जाने के बाद कंजूस ने सोचा “ साधु जिद्दी किस्म का व्यक्ति है | मुझे एक काम करना चाहिए मैं| अपना कुआं खुला छोड़ देता हूं और साधु के कुए को बंद कर देता हूं | लोग मेरे कुए से पानी निकालेंगे और साधु का कुआ सुरक्षित रहेगा | इससे निश्चित ही मेरे कुए का पानी कम होगा और साधु के कुए का पानी ज्यों का त्यों बना रहेगा |” फिर कंजूस ने ऐसा ही किया |
उसने अपना कुआ खुला छोड़कर, साधु महाराज का कुआ ढक दिया |
एक वर्ष बाद साधु अपने कहे अनुसार पुन: आया |
साधु को देखते ही कंजूस ने गर्व से कहा – “ महाराज ! आप अपने और मेरे कुएं का पानी नाप लीजिए | मेरे कुए मैं आपके कुए से पानी कम है |”
साधु कंजूस के साथ कुएं के पास गया और बोला – “ तुम नापो |” फिर कंजूस ने दोनों कुओं का पानी नापा |
नापते ही वह हड़बड़ा गया | उसे साधु की शर्त याद आ गई उसने कहा – “ महाराज! आप मुझसे कैसी भी कसम ले ले | मैंने आपके कुए से किसी को भी पानी नहीं लेने दिया | जबकि मैंने अपने कुए को लोगों को पानी भरने के लिए खुला छोड़ दिया था | लोग केवल मेरे ही कुएं से पानी भरकर ले जाते थे | मगर फिर भी मेरे कुए में पानी ज्यादा कैसे हो गया | यह मेरी समझ में नहीं आया |”
कंजूस की बात सुनकर साधु मुस्कुराया फिर बोला – अरे बुद्धू ! थोड़ी गहराई से सोचो तो सब कुछ समझ जाओगे |”
कंजूस ने अपने दिमाग पर बहुत जोर दिया | लेकिन उसकी समझ में कुछ नहीं आया |
फिर साधु महाराज ने उसे समझाया – “ अरे बेवकूफ आदमी ! तूने मेरे कुए से किसी को पानी भरने नहीं दिया और अपना कुआ लोगों के लिए खुला छोड़ दिया | तू नहीं जानता अक्ल के अंधे आदमी! की दान देने से धन कभी नहीं घटता | तिजोरी में रखने से वह घट जाता है, इसलिए मेरे कुए से तुमने पानी नहीं निकलने दिया और अपने कुए से खूब पानी भरवाया | तभी तो तुम्हारे कुए का पानी मेरे कुए से ज्यादा रहा |”
साधु की बात सुनकर कंजूस की आंखें खुल गई और फिर वह उस दिन से दान करने लगा | अब वह जान गया कि दान करने से धन कभी नहीं घटता |
इस कहानी की सीख:
“ कंजूसी एक हद तक तो ठीक होती है,लेकिन अत्याधिक कंजूसी हानिकारक सिद्ध होती है | दान करने में तो किसी प्रकार की कंजूसी नहीं करनी चाहिए | हमारे ग्रंथों में लिखा है कि दान देने से धन में वृद्धि होती है | इसलिए मनुष्य को ऐसा होना चाहिए कि वह दान दक्षिणा देता रहे | दान देने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं |”
4 . बूढ़े गिद्ध की सलाह (Old Vulture’s suggestion) Motivational Stories In Hindi

बूढ़े गिद्ध की सलाह
Motivational Stories In Hindi
एक समय की बात है, एक बहुत घना जंगल था। उस जंगल में गिद्दों का पूरा समूह रहता था। वह सभी गिद्ध एक साथ ही उड़ते व शिकार किया करते थे। एक दिन वह उड़ते हुए एक टापू पर पहुंचे, जहां बहुत सारी समुद्री जीव जैसे मछलियां और मेंढक थें। इस प्रकार गिद्धों को वहाँ खाने-पीने को कोई कमी नहीं थी। सबसे अच्छी बात ये थी कि वहाँ गिद्धों का शिकार करने वाला कोई जंगली जानवर नहीं था। गिद्ध वहाँ बहुत ख़ुश थे। इतना आराम का जीवन उन्होंने पहले देखा नहीं था।
गिद्दों के इस झुंड में एक बूढ़ा गिद्ध भी था, जिसे अपने साथी गिद्दों को देखकर बहुत परेशानी हो रही थी। अपने सभी साथियों को इतना आलस से जीवन व्यतीत करता देख, उसे उनके लिए चिंता होने लगी थी।
बहुत सोचने के बाद एक दिन बूढ़े गिद्ध ने सभी गिद्धों की सभा बुलाई। अपनी चिंता जताते हुए वह सबसे बोला, “इस टापू में रहते हुए हमें बहुत दिन हो गए हैं। मेरे विचार से अब हमें वापस उसी जंगल में चलना चाहिए, जहाँ से हम आये हैं. यहाँ हम बिना चुनौती का जीवन जी रहे हैं। ऐसे में हम कभी भी मुसीबत के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे।
बूढ़ा गिद्ध की बातों को सुनकर उसके सारे दोस्त उसका मजाक बनाकर हंसने लगे। साथी गिद्दों ने कहा कि बूढ़ा हो जाने के कारण इनका दिमाग काम नहीं कर रहा है, इसलिए यह हमें यह आराम की जिंदगी छोड़कर जीने की नसीहत दे रहे हैं। ये सब बोलकर सभी गिद्दों ने उस टापू से जाने के लिए इंकार कर दिया।
बूढ़े गिद्ध ने उन्हें समझाने की कोशिश की, “तुम सब ध्यान नहीं दे रहे कि आराम के आदी हो जाने के कारण तुम लोग उड़ना तक भूल चुके हो। ऐसे में मुसीबत आई, तो क्या करोगे? मेरे बात मानो, मेरे साथ चलो। ”
जिसके बाद बूढ़ा गिद्ध अकेले ही जंगल लौट आया।
कुछ दिन बीत जाने के बाद बूढ़ा गिद्ध ने अपने साथी गिद्दों से उनके टापू जाकर मिलने की योजना बनाई। उसे अपने दोस्तों से मिलने की इच्छा हुई। जब बूढ़ा गिद्ध उस टापू पहुंचा तो वह वहां का नजारा देखकर दंग रह गया। वहां का दृश्य बहुत ही डरावना था।
टापू पर जाकर उसने देखा कि वहाँ का नज़ारा बदला हुआ था। जहाँ देखो, वहाँ गिद्धों की लाशें पड़ी थी। कई गिद्ध लहू-लुहान और घायल पड़े थे। हैरान बूढ़े गिद्ध ने एक घायल गिद्ध से पूछा, “ये क्या हो गया? तुम लोगों की ये हालत कैसे हुई?”
घायल गिद्ध ने बताया कि” कुछ दिन पहले इस टापू पर चीतों के एक समूह ने हमला कर दिया और सभी गिद्दों को मार डाला। हम सभी इतने वक्त से ऊंचा उड़े नहीं थे, इसलिए अपनी जान बचाने में कामयाब नहीं रहे। हम सभी के पंजों में भी उनके लड़ने की ताकत कम हो गई थी।तो उन्होंने हमें एक-एक कर मारकर खाना शुरू कर दिया। उनके ही कारण हमारा ये हाल है। शायद आपकी बात न मानने का फल हमें मिला है। ”
घायल गिद्ध की बातों को सुनकर बूढ़ा गिद्ध को बहुत बुरा लगा, जब घायल गिद्ध की मौत हो गई तो वह अपने जंगल वापस लौट आया।
इस कहानी की सीख:
बूढ़ा गिद्ध की सलाह की इस कहानी से हमें ये सलाह बखूबी मिलती है कि परिस्थिति चाहे जितनी आरामदायक क्यों न हो हमें कभी भी अपनी शक्ति और अधिकारों की रक्षा करना नहीं भूलना चाहिए। अगर आलस में आकर लोग अपने कर्तव्य से पीछे हट जाएंगे, तो भविष्य में यह हमारे लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।
Also read
5 . बाज़ और चूज़ों की कहानी (The story of the eagle and the chicks)

बाज़ और चूज़ों की कहानी
Motivational Stories In Hindi
एक गाँव में एक किसान जंगल से गुजर रहा था रस्ते में उसे बाज़ का एक अंडा मिला। उसने वह अंडा मुर्गी के अंडे के साथ रख दिया। मुर्गी उस अंडे को अन्य अंडों के साथ सेकने लगी।
कुछ दिनों में मुर्गी के अंडे में से चूज़े निकल आये और बाज़ के अंडे में से बाज़ का बच्चा निकला । बाज़ का बच्चा चूज़ों के साथ पलने लगा। वह चूज़ों के साथ खाता-पीता, खेलता, इधर-उधर फुदकता बड़ा होने लगा।
चूज़ों के साथ रहते हुए उसे कभी अहसास ही नहीं हुआ कि वह चूज़ा नहीं बल्कि बाज़ है। वह खुद को चूजा ही समझता था और हर काम उन्हीं की तरह करता था।
जब उड़ने की बारी आई, तो अन्य चूज़ों की देखा-देखी वह भी थोड़ी ही ऊँचाई तक उड़ा और फिर वापस जमीन पर आ गया। उसका भी ऊँचा उड़ने का मन करता, लेकिन जब वह सबको थोड़ी ही ऊँचाई तक उड़ता देखता, तो वह भी उतनी ही ऊँचाई तक उड़ता। ज्यादा ऊँचा उड़ने की वह कोशिश ही नहीं करता था।
एक दिन उसने ऊँचे आकाश में एक बाज़ को उड़ते हुए देखा। इतनी ऊँचाई पर उसने किसी पक्षी को पहली बार उड़ते हुए देखा था। उसे बड़ी हैरानी हुई ,उसने चूजों से पूछा, “वो कौन सा पक्षी है जो इतनी ऊँचाई पर उड़ रहा है?”
चूज़े बोले, “वो पक्षियों का राजा बाज़ है। वह आकाश में सबसे ज्यादा ऊँचाई पर उड़ता है। कोई दूसरा पक्षी उसकी बराबरी नहीं कर सकता। ”
“यदि मैं भी उसके जैसा उड़ना चाहूं तो?” बाज़ के पूछा।
“कैसी बात करते हो? मत भूलों तुम एक चूज़े हो। चाहे कितनी ही कोशिश कर लो, बाज़ जितना नहीं उड़ पाओगे। इसलिए व्यर्थ में ऊँचा उड़ने के बारे में मत सोचो। जितना उड़ सकते हो, उतने में ही ख़ुश रहो.” चूज़े बोले।
बाज़ ने यह बात मान ली और कभी ऊँचा उड़ने की कोशिश ही नहीं की बाज़ होने बावजूद वह पूरी ज़िन्दगी मुर्गी के समान जीता रहा।
इस कहानी की सीख:
विचार और दृष्टिकोण का हमारे जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। हम सभी क्षमता और संभावनाओं से भरे हुए हैं। चाहे हम किसी भी स्थिति में हों, हमें अपनी क्षमता को पहचानने और अपनी सोच और दृष्टिकोण को व्यापक बनाने की आवश्यकता है। अगर हम खुद को चूजे के रूप में सोचते हैं, तो हम चूजे बन जाएंगे और अगर हम खुद को बाज के रूप में सोचते हैं, तो हम बाज़ बन जाएंगे। खुद को कम मत आंकिए, अपनी क्षमता को सीमित मत कीजिए, बाज़ बनिए और जीवन में ऊंची उड़ान भरिए।
6 . घमंडी कौवा (Proud crow)

घमंडी कौवा
Motivational Stories In Hindi
हंसों का एक झुंड समुद्र के किनारे से गुज़र रहा था, उसी जगह एक कौआ भी मौज-मस्ती कर रहा था। उसने हंसों को तिरस्कार से देखा, “तुम लोग कितना बढ़िया उड़ते हो!” कौआ मज़ाक करते हुए बोला, “तुम लोग और क्या कर सकते हो, बस अपने पंख फड़फड़ाओ और उड़ो!!! क्या तुम मेरी तरह तेज़ उड़ सकते हो??? क्या तुम मेरी तरह हवा में कलाबाज़ी दिखा सकते हो??? नहीं, तुम तो ठीक से जानते भी नहीं कि उड़ना क्या होता है!”
कौवे की बातें सुनकर एक बूढ़ा हंस बोला, “अच्छी बात है कि तुम यह सब कर सकते हो, लेकिन तुम्हें इस पर घमंड नहीं करना चाहिए।”
“मैं घमंड नहीं जानता, अगर तुममें से कोई मेरा मुकाबला कर सकता है, तो आगे आकर मुझे हरा दे।”
कौवे की बातें सुनकर एक बूढ़ा हंस बोला, “अच्छी बात है कि तुम यह सब कर सकते हो, लेकिन तुम्हें इस पर घमंड नहीं करना चाहिए।”
“मैं घमंड नहीं जानता, अगर तुममें से कोई मेरा मुकाबला कर सकता है, तो आगे आकर मुझे हरा दे।”
एक युवा नर हंस ने कौवे की चुनौती स्वीकार कर ली। तय हुआ कि प्रतियोगिता दो चरणों में होगी, पहले चरण में कौवा अपने करतब दिखाएगा और हंस को भी वही करना होगा और दूसरे चरण में कौवे को हंस के करतब दोहराने होंगे।
प्रतियोगिता शुरू हुई, कौवे ने पहला चरण शुरू किया और एक के बाद एक करतब दिखाने लगा, कभी वह गोल-गोल घूमता तो कभी जमीन को छूता हुआ ऊपर उड़ जाता। दूसरी ओर हंस उसके मुकाबले कुछ खास नहीं कर पाया। कौवा अब और भी घमंड से बोलने लगा, “मैं तो पहले ही कह रहा था कि तुम लोगों को और कुछ नहीं आता…ही ही ही…”
फिर दूसरा चरण शुरू हुआ, हंस ने उड़ान भरी और समुद्र की ओर उड़ने लगा। कौआ भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ा, “तुम ये कैसा करतब दिखा रहे हो, क्या सीधे आगे उड़ना कोई चुनौती है??? तुम सच में मूर्ख हो!”, कौआ बोला।
लेकिन हंस ने कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप उड़ता रहा, धीरे-धीरे वे जमीन से बहुत दूर चले गए और कौए की चहचहाहट भी कम हो गई, और कुछ देर में पूरी तरह बंद हो गई। कौआ अब बहुत थक चुका था, इतना थक गया था कि उसके लिए खुद को हवा में रखना भी मुश्किल हो रहा था और वह बार-बार पानी के करीब पहुंच रहा था। हंस कौए की स्थिति समझ गया, लेकिन अनजान बनने का नाटक करते हुए उसने कहा, “तुम बार-बार पानी को क्यों छू रहे हो, क्या ये भी तुम्हारा कोई करतब है?” “नहीं” कौआ बोला, “मुझे माफ़ कर दो, मैं अब पूरी तरह थक चुका हूँ और अगर तुमने मेरी मदद नहीं की तो मैं यहीं मर जाऊँगा… मुझे बचा लो, मैं कभी घमंड नहीं दिखाऊँगा…”
हंस को कौवे पर दया आ गई, उसने सोचा कि कौवा तो सबक सीख ही चुका है, अब उसकी जान बचाना ही बेहतर होगा, और उसने कौवे को अपनी पीठ पर बिठाया और वापस किनारे की ओर उड़ चला।
इस कहानी की सीख:
हमें यह समझना चाहिए कि भले ही हमें पता न हो, हर किसी में कोई न कोई खूबी होती है जो उसे खास बनाती है। और भले ही हममें हज़ारों अच्छे गुण हों, लेकिन अगर हम उन पर घमंड करते हैं, तो देर-सबेर हमें भी कौवे की तरह शर्मिंदा होना ही पड़ता है। एक पुरानी कहावत है, “घमंडी का सिर हमेशा झुका रहता है।” तो ध्यान रखें कि जाने-अनजाने में आप भी कहीं कौवे जैसी गलती तो नहीं कर रहे।
7 . सुई वाला पेड़ (needle bearing tree)

सुई वाला पेड़
Motivational Stories In Hindi
एक जंगल के पास दो भाई रहते थे। बड़ा भाई अपने छोटे भाई के साथ बहुत बुरा व्यवहार करता था। उदाहरण के लिए, वह हर दिन अपने छोटे भाई का सारा खाना खा जाता था और अपने छोटे भाई के नए कपड़े भी पहनता था।
एक दिन बड़े भाई ने पास के जंगल में जाकर कुछ लकड़ियाँ लाने का फैसला किया जिसे वह बाद में बाज़ार में बेचकर कुछ पैसे कमाएगा।
जंगल में जाते हुए उसने कई पेड़ काटे और फिर एक के बाद एक पेड़ काटते हुए उसकी नज़र एक जादुई पेड़ पर पड़ी।
पेड़ ने कहा, “हे दयालु महोदय, कृपया मेरी शाखाएँ मत काटो। अगर आप मुझे छोड़ देंगे तो मैं आपको एक सुनहरा सेब दूँगा।” उस समय वह मान गया, लेकिन उसके मन में लालच पैदा हो गया। उसने पेड़ को धमकी दी कि अगर उसने उसे और सेब नहीं दिए तो वह पूरा पेड़ ही काट देगा।
इसलिए जादुई पेड़ ने बड़े भाई को सेब देने के बजाय, उस पर सैकड़ों सुइयाँ बरसा दीं। इससे बड़ा भाई ज़मीन पर लेटा दर्द से कराहने लगा।
अब धीरे-धीरे दिन ढलने लगा, जबकि छोटे भाई को चिंता होने लगी। इसलिए वह अपने बड़े भाई की तलाश में जंगल में गया। उसने देखा कि बड़ा भाई पेड़ के पास दर्द से लेटा हुआ था, उसके शरीर पर सैकड़ों सुइयाँ चुभोई हुई थीं। उसे दया आ गई, वह अपने भाई के पास गया, और प्यार से धीरे-धीरे एक-एक सुई निकाली।
बड़ा भाई यह सब देख रहा था और खुद पर गुस्सा हो रहा था। अब बड़े भाई ने छोटे भाई से उसके साथ बुरा व्यवहार करने के लिए माफ़ी मांगी और बेहतर होने का वादा किया। पेड़ ने बड़े भाई के दिल में बदलाव देखा और उसे वे सभी सुनहरे सेब दे दिए जिनकी उसे भविष्य में ज़रूरत पड़ने वाली थी।
इस कहानी की सीख:
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सभी को हमेशा दयालु और सभ्य रहना चाहिए, क्योंकि ऐसे लोगों को हमेशा पुरस्कृत किया जाता है।
8 . हाथी और उसके दोस्त ( Elephant and his friends)

Motivational Stories In Hindi
एक बार की बात है, एक घने जंगल में एक छोटा सा हाथी रहता था। वह बहुत ही मासूम और प्यारा था। लेकिन उसकी एक समस्या थी – उसका कोई दोस्त नहीं था।
हाथी अकेला महसूस कर रहा था, इसलिए उसने सोचा, “मुझे भी एक अच्छा दोस्त बनाना चाहिए।” वह दोस्त की तलाश में जंगल में निकल पड़ा।
सबसे पहले उसकी मुलाकात एक बंदर से हुई। हाथी ने कहा, “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?”
बंदर हँसा और बोला, “मैं पेड़ों पर झूलता और कूदता हूँ। तुम बहुत भारी हो, तुम मेरे साथ नहीं खेल सकते।”
हाथी उदास होकर आगे बढ़ गया। फिर उसकी मुलाकात एक खरगोश से हुई। हाथी ने भी वही सवाल दोहराया।
खरगोश ने कहा, “तुम बहुत बड़े हो। मैं छोटे-छोटे बिलों में रहता हूँ। हम दोस्त कैसे हो सकते हैं?”
हाथी और भी उदास हो गया। फिर उसकी मुलाकात एक हिरण से हुई, लेकिन उसे भी वही जवाब मिला – “तुम बहुत बड़े हो, हम साथ नहीं खेल सकते।”
हाथी थक गया और एक पेड़ के नीचे बैठ गया। तभी जंगल में हलचल मच गई। शेर जंगल में आ गया था और सभी जानवर डर के मारे भागने लगे।
शेर छोटे जानवरों को पकड़ने लगा। सब डर गए। हाथी ने देखा कि उसके सभी जानवर डर से काँप रहे हैं। वह सीधा शेर के पास गया और ज़ोर से दहाड़ा।
शेर डर गया क्योंकि हाथी बहुत बड़ा और ताकतवर था। शेर वहाँ से भाग गया।
अब सभी जानवर धीरे-धीरे वापस लौट आए। बंदर, खरगोश और हिरण भी आए और बोले, “हाथी भाई, आज तुमने हमारी जान बचाई। हमें माफ़ करना, हम तुम्हारे सच्चे दोस्त नहीं बन पाए।”
हाथी मुस्कुराया और बोला, “सच्चा दोस्त वह होता है जो मुसीबत में तुम्हारा साथ दे।”
शिक्षा: कभी किसी का कद-काठी से आकलन मत करो। सच्चा दोस्त वह होता है जो ज़रूरत के समय काम आए।
9 . गुरु और उनके शिष्य की प्रेरणादायक कहानी ( Inspirational story of Guru and his disciple)

गुरु और उनके शिष्य की प्रेरणादायक कहानी
Motivational Stories In Hindi
बहुत समय पहले की बात है। एक प्रसिद्ध गुरुकुल में कई शिष्य पढ़ते थे। उस गुरुकुल के गुरु अत्यंत ज्ञानी, शांत और अनुशासित थे। दूर-दूर से विद्यार्थी उनके पास अध्ययन के लिए आते थे।
एक दिन गुरुकुल में एक नया शिष्य आया। वह बहुत बुद्धिमान था, लेकिन साथ ही घमंडी भी था। वह सोचता था कि वह बाकी सभी शिष्यों से ज़्यादा जानता है। वह अक्सर गुरु की बातों पर सवाल उठाता था।
एक दिन गुरु ने सभी शिष्यों को एक छोटी सी परीक्षा के लिए बुलाया। उन्होंने सभी को एक मिट्टी का दीपक दिया और कहा, “इन दीपकों को जलाकर इस जंगल में जाकर ऐसी जगह रख दो जहाँ कोई उन्हें न देख सके। लेकिन शर्त यह है कि दीपक बुझना नहीं चाहिए।”
सभी शिष्य दीपक लेकर जंगल की ओर चल पड़े और अपनी सुविधानुसार उन्हें छिपाकर रखते गए। लेकिन वह घमंडी शिष्य बहुत देर तक दीपक लेकर घूमता रहा और खाली हाथ लौट आया।
गुरु ने उससे पूछा, “तुम दीपक क्यों नहीं रख पाए?”
शिष्य ने कहा, “गुरुदेव, मैं जहाँ भी दीपक रखने जाता, प्रकाश फैल जाता और मुझे डर था कि कोई देख न ले। दीपक जलता रहे और कोई उसे न देखे, यह संभव नहीं था।”
गुरु मुस्कुराए और बोले, “यही तो मैं तुम्हें समझाना चाहता था। सत्य और ज्ञान का भी यही स्वभाव है – जब वह विद्यमान होता है, तो उसका प्रकाश स्वतः ही फैल जाता है। उसे छिपाया नहीं जा सकता।”
तब गुरु ने कहा, “ज्ञान केवल पढ़ने और बोलने से नहीं, बल्कि विनम्रता, अनुशासन और अनुभव से आता है। जब तुम ज्ञान के साथ अहंकार का भी त्याग कर दोगे, तभी तुम एक सच्चे शिष्य बन पाओगे।”
यह सुनकर शिष्य को अपनी भूल का एहसास हुआ। उसने गुरु के चरणों में प्रणाम किया और क्षमा याचना की तथा भक्तिपूर्वक सीखने का संकल्प लिया।
शिक्षा: ज्ञान का सही उपयोग तभी होता है जब उसके साथ विनम्रता भी हो। जो व्यक्ति सच्चा ज्ञानी होता है, वह दूसरों को नीचा नहीं दिखाता, बल्कि सभी से सीखने की भावना रखता है।
10. बूढ़ा शेर और सियार (The old lion and the jackal)

The old lion and the jackal
Motivational Stories In Hindi
एक ज़माने की बात है, जंगल में एक शेर राजा रहता था। लेकिन अब वह बूढ़ा और कमज़ोर हो गया था। उसके लिए अकेले शिकार करना मुश्किल हो गया था।
एक चतुर सियार ने सोचा कि शेर की कमज़ोरी का फ़ायदा उठाने का यही अच्छा मौक़ा है।
उसने शेर से कहा –
“महाराज! आप परेशान क्यों होते हैं? मैं रोज़ आपके लिए शिकार लाया करूँगा। आप अपनी गुफा में आराम कीजिए।”
शेर मान गया। अब सियार जंगल के जानवरों को डराने लगा –
“शेर उसे खा जाएगा जो उसकी सेवा नहीं करेगा।”
डर के मारे जानवर ख़ुद ही शेर की गुफा में जाने लगे। शेर उन्हें मारकर खा जाता और सियार बाकी काम कर देता।
यह योजना कई दिनों तक चलती रही। लेकिन जल्द ही जानवरों को सियार की चालाकी और लालच समझ आ गया।
एक दिन जानवरों ने मिलकर एक योजना बनाई और शेर की गुफा के बाहर लकड़ियाँ डालकर आग लगा दी।
शेर और सियार दोनों ज़िंदा जल गए।
सीख:
- चालाकी और अहंकार के बुरे परिणाम होते हैं।
- जब आप दूसरों को दबाते हैं, तो वे अंततः आपके खिलाफ हो जाते हैं।
- दूसरों का फायदा उठाना एक स्वार्थी विचार है जो ज़्यादा समय तक नहीं टिकता।
